जो हरेक दिन चमकति हैं
मेरा नजर उस तरों पर है
जो मेरो ललित्यको फुलाती है
मेरा व्यवहार है
जो निरन्तर छलकती है
हिमालय कि कंचनजंघा से
बहती गंगा बढ्ता योवन
जीवनको आसिंचन करता है
धैर्यता शाहस पराक्रम कि
एकाकार से अप्रकेत सलिल कि
अनुभूति होती है
सत्-चित-आनन्द निरन्तर बरसती है
शशी धाराओं से एक एक अमृत बिन्दु |
योगी बालक हरिद्वार
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